Nitriding क्या है? What is Nitriding in hindi

B. नाइट्राडीकरण (Nitriding)

Nitriding प्रक्रम में सतह (surface) को कार्बन की जगह नाइट्रोजन से प्रतिक्रिया (enriched) कराई जाती हैं।

नाइट्राइडिंग प्रक्रम में दो प्रणालियां (system) प्रयोग में आती हैं- गैस नाइट्राइडिंग तथा लवण कुंड नाइट्राइडिंग।

गैस नाइट्राइडिंग (Gas nitriding)

गैस नाइट्राइडिंग प्रक्रम में parts को 100 घण्टे तक अमोनिया गैस
के स्थिर प्रवाह (constant circulation) में 500°C तक गर्म किया जाता हैं।

नाइट्राइड्रिग प्रक्रम के दौरान पुर्जे को hot एंव गैस रोधी बक्से (gastight box) में रखा जाता है ।

इसमें लगे प्रवेश एवं निकासी द्वार से अमोनिया गैस की आपूर्ति की जाती है जो नाइट्रोजन प्रदान करता है ।

इसमें स्टील के अमोनिया सोखने की क्रिया पूरा होने पर भी अमोनिया प्रवाहित करते रहते हैं जब तक कि इस्पात का तापक्रम 500°C तक न हो जाये ।
बाद में बाक्स खोलकर हवा में ठंडा कर लिया जाता है ।

नाइट्राइडिंग से सतह पर एक फिल्म बना देता है जिसे हल्की बफिंग (buffing) द्वारा साफ किया जा सकता है

इस प्रक्रम में इस्पात को अमोनिया गैस (NH,) के वातावरण में 500°C से 650°C के बीच गरम किया जाता है।

इस तापमान पर अमोनिया का विघटन हो जाता है।

जैसे समीकरण (2NH, = 2N+ 3H) के अनुसार नाइट्रोजन तथा हाइड्रोजन में हो जाता है।

नाइट्रोजन इस्पात की सतह में प्रवेश करके अल्फा-लोहे से मिलकर इसे संतृप्त (saturate) कर देती है।

फलस्वरूप सतह पर कठोर नाइट्राइड (nitrides) उत्पन्न होते हैं जो समान रूप से सतह पर वितरित हो जाते हैं। नाइट्राडीकरण द्वारा तैयार सतह बहुत कठोर होती है।

इसकी कठोरता सामान्यतः कठोरण क्रियाओं द्वारा प्राप्त कठोरता की तुलना में बहुत अधिक होती है।

इसलिये नाइट्राडीकरण से प्राप्त सतह क्षति-रोधक (wear resistnat) तथा संक्षारण-रोधक (corrosion resistant) बन जाती है।

नाइट्राडीकरण क्रिया के लिये आवश्यक तापमान अन्य क्रियाओं जैसे कठोरीकरण,

Nitriding प्रोसेस के द्वारा ही उच्च कठोरता वाली सतह प्राप्त हो जाती है।

इस क्रिया का उपयोग मुख्यतया निम्न कार्बन इस्पात तथा मिश्र-धातु इस्पात (Alloy steels) के लिये किया जाता है।

साल्ट बाथ में नाइट्राइडिंग (Nitriding in salt bath)

इसके लिए विशेष प्रकार के (special) कुंड बनाए जाते हैं। यह प्रक्रम सभी प्रकार के एलॉय (alloyed) तथा गैर एलॉय (unalloyed) प्रकार के इस्पात के लिए है।

इसमे कार्यखण्डों को लवण कुंड में (लगभग 520℃ – 570°C) रखने से पूर्व कार्यखण्डों (pieces) को लगभग 400°C ताप तक पूर्वतप्तन (pre heating) कर पूर्ण प्रतिबल मुक्त (completely stress relieved) किया जाता हैं।

लाभ (Advantages)-

(i) इस क्रिया के पश्चात् अन्य किसी ऊष्मा उपचार की आवश्यकता नहीं होती।

(ii) पपड़ी (scaling), दरार (cracks), विरूपण (distrosion) आदि दोष उत्पन्न नहीं होते।

(iii) उच्च कठोरता वाली सतह प्राप्त होती है।

(iv) इस क्रिया के उपरांत मशीनन की आवश्यकता नहीं होती।

(v) सतह-संक्षारण-रोधी (corrosion resistant) बनती है।

(vi) धातु की क्षति-प्रतिरोधकता (wear resistance) बढ़ जाती है।

Disadvantages:-

(i) यह प्रक्रम महंगा है।

(ii) इस क्रिया में अपेक्षाकृत अधिक समय लगता है।

(iii) कुछ ही मिश्र-धातुओं पर यह क्रिया सफलतापूर्वक की जा सकती है, जैसे एल्यूमीनिमय, क्रोमियम, मौलिब्डिनम (Molybdenum) मिश्रित इस्पात।

C. साइनाइडीकरण (Cyaniding)- कार्बन तथा नाइट्रोजन दोनों का विसरण।

D. फ्लेम कठोरण (Flame Hardening)

E. प्रेरण कठोरण (Induction Hardening)

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