परिचय (Introduction):-
धातुओं तथा मिश्र धातुओं को कुछ special work के लिए उपयोगी बनाने के लिए हमें उनके गुणों में परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है। जैसे steel को hard करना, soft करना आदि।
धातु को निश्चित तापमान पर गर्म व ठंडा करके उसके गुणों में वांछित परिवर्तन प्राप्त करना ही heat treatments या ऊष्मा उपचार कहलाता है।
ऊष्मा-उपचार की परिभाषा (Definition):- heat treatment kya hai?
धातुओं तथा मिस्र धातुओं को नियन्त्रित परिस्थितियों के अन्तर्गत सामान्य अवस्था में गर्म व ठंडा करके उनमें वांछित गुण उत्पन्न करने की क्रिया को heat treatment कहते हैं।
(i). तापन Heating
(ii). शीतलन Quenching
(iii). क्रांतिक-बिन्दु या क्रांतिक तापमान critical Point or critical tempreture
What is Heating : heating kya hai?
तापन क्रिया में कार्य-खण्ड को आवश्यक तापमान तक गरम करना, उस तापमान पर निश्चित समय तक रोकना तथा कार्य-खण्ड को ठीक स्थिति में भट्टी में रखना, इस क्रिया के महत्वपूर्ण पद है।
कार्य-खण्डों को गरम करने के लिये जिन भट्टियों का प्रयोग किया जाता है उनमें तेल, गैस या कोयले की ज्वाला से गरम होने वाली ज्वाला-भट्टियाँ (flame-furances), मफल-भट्टियाँ ( Muffle furances), साल्ट-बाथ-मट्टियाँ (salt-bath-furnaces) मुख्य हैं। ज्वाला-भट्टियों में कार्य-खण्डों को ज्वाला या flame के सीधे सम्पर्क से गरम किया जाता है। मफल-भट्टियों में कार्य-खण्डों को अलग-अलग कक्षों (compartments) में रखकर गरम करते हैं।
What is Quenching : Quenching kya hai?
विभिन्न संगठन (composition) वाले इस्पातों को या अन्य धातुओ को उच्च तापमानों से अलग-अलग शीतलन-दर पर ठण्डा किया जाता है तो उसकी संरचना का रूपान्तरण या उसके internal structure में परिवर्तन होता है।
अथार्त मेटल को उच्च तापमान से निम्न तापमान की ओर लाने की प्रकिया को quenching कहते है।
Critical point : critical point kya hai?
शुद्ध लोहे के संरचनात्मक परिवर्तन (structural change) एक निश्चित तापमान पर होते हैं जिसे क्रान्तिक तापमान या क्रान्तिम बिन्दु (critical temperature or critical point) कहते हैं।
जिन बिन्दुओं पर परिवर्तन आरम्भ व समाप्त होता है, वे क्रान्तिक बिन्दु या क्रान्तिक तापमान (critical point or critical temperatures) कहलाते हैं।
परिवर्तन आरम्भ होने वाले बिन्दु को निचला क्रान्तिक बिन्दु (lower critical point) तथा समाप्त होने वाले को ऊपरी क्रान्तिक बिन्दु (upper critical point) कहते हैं। क्रान्तिक बिन्दु, शीतलन-प्रक्रिया में तापन (heating) प्रक्रिया की अपेक्षा निम्न तापमान घटते हैं।
क्रान्तिक तापमानों पर लोहे की संरचना में परिवर्तन होते हैं जैसे 1390°C पर डेल्टा-लोहा, गामा-लोहे में तथा 910°C पर गामा-लोहा बीटा-लोहे में परिवर्तित होता है।
Note- अल्फा, बीटा और गामा लौहे के माइक्रो स्ट्रक्चर हैं।
शुद्ध लोहे के विपरीत इस्पात के क्रान्तिक-बिन्दु स्थिर तापमान पर प्राप्त नहीं होते। इस्पात के संरचनात्मक परिवर्तन किसी निश्चित तापमान परिसर (range) में होते हैं। तापमान-परिसर सामान्यतया इस्पात में कार्बन की मात्रा पर निर्भर करता है।
ऊष्मा-उपचार के उद्देश्य (Purposes)
थातुओं का ऊमा उपचार निम्नलिखित प्रयोजनों की पूर्ति के लिये किया जाता है-
(1) इस्पात को अपघर्षणरोधी (abrasive resistant) तथा घिसावरोधी (wear resistant) बनाने के लिए उसकी सतह को कठोर बनाना।
(2) धातु को मृदु बनाकर उसकी मशीनन योग्यता (machinability) में सुधार करना।
(3) तप्त या शीत रूपण अथवा अन्य रूपण (forming) क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पत्र आन्तरिक प्रतिबों (internal stresses) को दूर करना।
(4) धातु की क्रिस्टल-संरचना (crystal structure) में सुधार करना।
(5) धातु के कणों (grains) को शुद्ध (refine) करना।
(6)धातु के यांत्रिक गुणों जैसे तनाव-सामर्थ्य (tensile strength), कटोरता (hardness), तन्यता (ductility). सुघट्यता (malleability), अटका रोधकता shock resistance) आदि में सुधार करना।
(7) धातु के चुम्बकीय तथा विद्युतीय गुणों में सुधार करना।
(8) धातु की भंगुरता (brittleness) कम करना।
(9 इस्पात की कटोरता (hardness) में वृद्धि करके उसे अन्य धातुओं को काटने योग्य
(10) कटोरता को कम करना।
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