अनीलीकरण (Annealing) :-
Annealing ऊष्मा-उपचार की एक process है जिसके द्वारा लोहे तथा इस्पात का हीट ट्रीटमेंट किया जाता है।
इस प्रोसेस में धातु के आंतरिक प्रतिबलों को दूर किया जाता है, और उसके कणों का सुधार (grain refinement) होता है तथा कठोरता में कमी आती है।
परिभाषा (Definition of Annealing)-
Annealing एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें इस्पात को मृदु (Soft) बनाया जाता है।
इसके अन्तर्गत इस्पात-खण्डों को उसके critical tempreture या उससे नीचे तक गरम करके तथा कुछ समय तक उसी तापमान पर रोककर धीरे-धीरे भट्टी में ही ठण्डा किया जाता है।
जिसमें धातु के आंतरिक गुणों में सुधार होने के साथ साथ उसके आंतरिक प्रतिबलों को दूर किया जाता है।
Application :-
1. धातु को soft बनाना।
2. धातु की मशीनन-योग्यता (machinability) में सुधार करना।
3. metal की mechanical properties में सुधार करना, जैसे ductility तथा toughness में वृद्धि करना ।
4. धातु के रेशों के साइज में आवश्यक परिवर्तन लाना।
5. धातु को आन्तरिक प्रतिबलों से मुक्त करना।
6. धातु के भीतर दबी गैसों को निकालना।
7. धातु की निश्चित सूक्ष्म-संरचना प्राप्त करना।
8. विद्युत तथा चुम्बीय गुणों में सुधार करना।
9. इस्पात को अन्य ऊष्मा-उपचार क्रियाओं के उपयुक्त बनाना।
सिद्धान्त (principle)-
पायनीकरण के समान इस क्रिया में निम्न कार्बन इस्पात को क्रान्तिक तापमान से कुछ ऊपर तक गरम किया जाता है।
और उच्च कार्बन इस्पात जिनमें 1.5 % तक कार्बन होता है जिसे हाइपो-यूटैक्टायड स्टील कहते हैं, को upper critical tempreture से लगभग 20°C अधिक गरम करते हैं
जबकि हाइपर-यूटैक्टायड इस्पात को निचले क्रान्तिम तापमान से 10°C ऊपर तक गर्म किया जाता है।
Annealing process से हाइपो-यूटैक्टायड इस्पात की संरचना इस्पात के ठण्डा होने पर फैराइट व पर्लाइट में तथा हाइपर-यूटैक्टायड इस्पात की संरचना पर्लाइट व सीमेंटाइट में परिवर्तित हो जाती है।
ठण्डा करने की दर सामान्यतया 15° से 30°C प्रति मिनट तक होती है।
Annealing process में शीतलन क्रिया भट्टी में ही की जाती है
Note:- martensite, pearlite, ferrites and cementite आयरन के micro structure हैं।
Annealing temprature in diagram.
विभिन्न प्रकार के अनीलन-उपचार (Types of annealing treatment)-
A. प्रक्रम-अनलीन (Process-annealing)-
इस क्रिया में इस्पात के Cold working process के दौरान धातु के क्रिस्टल-जालकों (crystal lattice) में विरूपण (distorsion) उत्पन्न हो जाता है।
इस विरूपण को कम करने, तनाव-सामर्थ्य (tensile strength) बढ़ाने तथा भंगुरता को कम करने के के लिए इस्पात को
600°C से 700°C के बीच अर्थात क्रान्तिक तापमान से नीचे गरम करके धीरे-धीरे ठण्डा किया जाता है।
जिसके फलस्वरूप विरूपित-क्रिस्टलों (distorted crystals) का रूपान्तरण अपने वास्तविक आकार में हो जाता है।
इस आधार पर इस क्रिया को पुनः क्रिस्टलन अनीलन (recrystallisation annealing) भी कहते हैं।
B. पूर्ण-अनीलन (Full-annealing):-
इस क्रिया के द्वारा कठोरित-इस्पात की कठोरता दूर करके इसे मृदु (soft) बनाया जाता है जिससे धातु पर मशीनन क्रियायें आसानी से की जा सकें।
इस क्रिया के अन्तर्गत इस्पात को उसके क्रान्तिक-तापमान से कुछ ऊपर तक गरम करके कुछ समय के लिए इसी तापमान पर रखा जाता है।
जिसके फलस्वरूप इस्पात में ऑस्टेनाइट उत्पन्न हो जाता है।
C. गोलाकृत-अनीलन (Spheroidise-annealing)-
यह इस्पात में गोलाकृत या दानेदार (granular) पर्लाइट-संरचना (pearlite structure) प्राप्त करने की विधि है।
इसका उपयोग मुख्यत मध्यम तथा उच्च कार्बन औजार-इस्पात (tool steels) की संरचना में सुधार करने के लिये किया जाता है।
Annealing process से इस्पात की कठोरता कम होती है तथा तन्यता व चीमड़पन (toughness) बढ़ते हैं।
इस क्रिया के अन्तर्गत इस्पात को निम्न-क्रांतिक बिन्दु से कुछ अधिक गरम करके धीरे-धीरे लगभग भट्टी में ही ठण्डा किया जाता है,
फलस्वरूप संरचना में सीमेंटाइट तथा पर्लाइट के गोलाकार कण बन जाते हैं।
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