Forging क्या है? what is Forging in hindi

फोर्जन (Forging):- 

Forging एक ऐसी process  है जिसके अन्तर्गत धातु को उसके ऊपरी-क्रान्तिक तापमान से अधिक गर्म करके दाब-बल या हथौड़े के चोट के द्वारा पूर्व निर्धारित माप तथा आकार के कार्य-खण्ड में परिवर्तित किया जाता है।

धातु को जब उसके ऊपरी क्रान्तिक तापमान से अधिक गरम किया जाता है तो वह प्लास्टिक अवस्था में आ जाती है और दाब द्वारा उसकी forming सरलता से हो सकती है।

फोर्जन द्वारा धातु के कणों का विरूपण (deformation) तथा बहाव (flow) होता है जिसके फलस्वरूप धातु की प्रत्यास्थ-सीमा (elastic limil) तथा तनाव सामर्थ (tensile strength) में प्रर्याप्त वृद्धि होती है।

फोर्जन प्रक्रम का उपयोग ऐसे कल-पुर्जी के निर्माण में होता है

जिनमें उच्च सामर्थ्य तथा कम्पन या झटके (Shocks) सहन करने की आवश्यकता

जैसे क्रैंक-शाफ्ट, कैम-शाफ्ट, संयोजक-दण्ड, बोल्ट, स्पैनर, रिंच, लीवर, क्रेन-हुक, टरबाइन ब्लेड आदि।

फोर्जिंग का इतिहास (history of forging)

फोर्जिंग की कला का इतिहास कम से कम 4000 ईसा पूर्व व इससे पहले का है। जैसे जैसे मनुष्य को धातुओं का ज्ञान हुआ वैसे ही फोर्जिंग कला का उदय हुआ।

ताम्र (Copper), कांस्य और लोहे जैसी धातुओं को मनुष्य द्वारा निर्मित हाथ के औजार और युद्ध के हथियार बनाने के लिए उपयोग किया गया था।

copper एक ऐसी धातु है जो मनुष्य सबसे पहले प्राप्त हुई। ताँबे का इस्तेमाल सबसे पहले मनुष्य ने लगभग 10,000 साल पहले किया था।

एक तांबे का pendant(गले की चैन) जो उत्तरी इराक में खोजा गया है, वह लगभग 8700 ई.पू. का है।

लगभग पाँच हजार सालों तक तांबा मनुष्य के लिए ज्ञात एकमात्र धातु थी।

लोहे और स्टील की फोर्जिंग 19वीं शताब्दी के अंत तक इसी तरह के उद्देश्यों के लिए जारी रही

और यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि युद्ध के हथियार अभी भी अधिक समकालीन धातुओं का उपयोग करके फोर्जिंग प्रक्रिया द्वारा उत्पादित किए जाते हैं।

फोर्जन-विधियाँ (Methods of Forging):- 

(1) हस्त या स्मिथ फोर्जन (Hand or Smith Forging) :

इस क्रिया में धातु को गरम करके हस्त औजारों जैसे सड़ासी आदि की सहायता से पकड़कर तथा निहाई (anvil) पर टिकाकर और हथौड़े से पीटकर वाँछित आकार में फोर्जन किया जाता है।

हस्त फोर्जन का उपयोग छोटे पैमाने पर निर्माण तथा मरम्मत कार्यों के लिये किया जाता है

जैसे क्रेन-चैन, हुक छल्ले, कर्तन औजार आदि का निर्माण तथा मरम्मत।

(2) शक्ति-हथोड़ा फोर्जन (Power Hammer Forging):- 

इस क्रिया में शक्ति-हथौड़े, (Power hamner) के उपयोग से धातु-खण्ड को वॉछित आकार में फोर्ज किया जाता है।

यह क्रिया हाथ से न करके शक्ति-हथौड़े द्वारा की जाती है।

इससे बड़े आकार के कार्य-खण्डों को फोर्ज करना सरल हो जाता है।

हस्त औजार सामान्यतया बही प्रयोग किये जाते हैं जो हस्त-फोर्जन में होते हैं।

(3) पात-फोर्जन (Drop Forging):- 

इस क्रिया में कार्य-खण्ड को वाँछित आकार हाइयों (Dies) की सहायता से प्रदान किया जाता है।

डाई दो भागों में बनी होती है जिस पर वाँछित आकार का प्रतिरूप (impression) बना होता है

कार्य-खण्ड को डाई के दोनों भागों के बीच रखकर दाद दल द्वारा वाँछित आकार प्रदान करते हैं।

इसके लिये पात-फोर्जन हथौड़े (drop forging haminers) का प्रयोग किया जाता है

जो सामान्यता विद्युत-शक्ति से चलते हैं।

Drop Forging

फोर्जन योग्य धातुयें-

ऐसी सभी धातुयें जिन्हें गरम करने पर उनकी प्लास्टिकता में वृद्धि हो और कणों (grains) का प्रवाह (now) हो सके, फोर्ज की जा सकती हैं।

ढलवां लोहे के अतिरिक्त अन्य सभी लौह तथा अलौह धातुर्यफोर्ज की जा सकती हैं।

जैसे पिटवाँ लोहा (wrought iron), मृदु-इस्पात (mild steel), ऐलाय इस्पात, औजार इस्पात (tool steel),

ताँबा, पीतल, एल्यूमीनियम तथा उनकी मिश्र धातुये।

 

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