परिचय (introduction of limit gauge)
What is limit gauge
“लिमिट गेजिंग dimension की जाँच करने की एक विधि है जिसमें यह निर्धारित किया जाता है
कि दिए गए प्रोडक्ट की dimension उसकी दी गई gauge के भीतर है या नहीं,
इस काम को एक निश्चित गेज के द्वारा किया जाता है।”
गेज एक निरीक्षण उपकरण हैं, जो बिना पैमाने के उत्पादित प्रोडक्ट्स की डायमेंशन की जांच करते हैं।
गेज के द्वारा प्रोडक्ट की actual दी डायमेंशन का पता नहीं किया जा सकता है, उनका उपयोग केवल
यह जांचने के लिए किया जाता है कि निरीक्षण किया गया पार्ट दी गयी सीमा के भीतर बनाया गया है या नही।
इस प्रकार, लिमिट गेज एक माप उपकरण (पैमाना) के विपरीत, यह निर्धारित करता है कि कोई पार्ट टॉलरेंस अंदर
या बाहर है या नहीं और न ही पार्ट की डायमेंशन में उत्पन्न error के बारे में बताता है।
Example ;
इन्हें ‘गो’ और ‘नो गो’ गेज भी कहा जाता है। इन्हें मापे जाने वाले part की आकार की डायमेंशन में दी गयी छूट की सीमा तक बनाया जाता है।
गेज के किनारों या सिरों में से एक को अधिकतम और दूसरे छोर को न्यूनतम अनुमेय (पता किया जा सके) आकार के अनुरूप बनाया गया है।
लिमिट गेज का कार्य यह निर्धारित करना है कि कार्य के वास्तविक dimensions दी गई सीमा के भीतर हैं या बाहर।
एक लिमिट गेज या तो डबल एंड या प्रगतिशील (progressive) हो सकता है।
लिमिट गेज को Plug gauge से समझते हैं plug गेज का एक सिरा GO और दूसरा सिरा NOGO होता है।
प्लग गेज से जिस प्रोडक्ट का hole चेक करना होता है उस होल में GO सिरा आसानी से आ जाने का मतलब है
कि हमारा प्रोडक्ट Ok है और NOGO सिर भी आसानी से आ जाता है तो हमारा प्रोडक्ट NOT OK है।
मतलब :
GO end Go in hole = Product Ok and acceptable.
NOGO end GO in hole = Product Not Ok and Not acceptable.
सीमा गेज की आवश्यकता : Purpose of limit gauge
कोई भी कॉम्पोनेन्ट या पार्ट ड्राइंग में दी गयी डायमेंशन के अनुसार नहीं बन पाता है।
उस तैयार कॉम्पोनेन्ट या पार्ट की डायमेंशन और ड्राइंग की डायमेंशन में कुछ न कुछ अन्तर होता है
चाहें वो अंतर कुछ माइक्रोन या mm का क्यों ही न हो। कभी कभी ये अंतर इतना ज्यादा हो जाता है
कि कॉम्पोनेन्ट को असेम्बली में फिट करना कठिन हो जाता है और हमारा पार्ट reject हो जाता है।
इसी से बचने के लिए पार्ट की डायमेंशन में कुछ लिमिट या छूट दी जाती है ये लिमिट दो प्रकार की होती है
upper और lower limit जैसे किसी पार्ट की डायमेंशन 10 mm है।
यही इसपर 0.05 mm की upper limit लगाते तो ये 10.05mm का बनेगा और 0.05 mm की lower limit लगाते है तो ये पार्ट 9.95 mm का बनेगा।
Dimensions after upper limit = 10.05mm
Dimensions after lower limit = 9.95mm
अतः पार्ट की डायमेंशन की upper और lower लिमिट के अंदर ही रहे इसी को चैक करने के लिए लिमिट बनाया गया है।।
दूसरी ओर, लिमिट गेजिंग तेज और आसान है, और इसके लिए कौशल निरीक्षक की आवश्यकता नहीं है।
इसके अलावा, इस पारंपरिक माप के लिए कुशल या अर्धकुशल श्रमिकों की आवश्यकता होती है।
पुनरावृत्ति (दोहराने ) बाले कार्य में सटीक उपकरणों जैसे वर्नियर कैलिपर, माइक्रोमीटर आदि का उपयोग करना
संभव नहीं है इसके लिए लिमिट गेज का इस्तेमाल किया जाता है।
बड़े पैमाने पर उत्पादन में जहां interchangeability (अंतर परिवर्तनशीलता) को बनाए रखना और
dimensions tolerance (उच्च और निम्न सीमा) को limit गेज के द्वारा कंट्रोल करते है।
सीमा गेज के लाभ : Advantages of limit gauge in hindi
1. यह प्रत्यक्ष माप से तेज है और फ्लोर शॉप पर निरीक्षण करने में लगने वाले समय समय को कम कम करता है।
2. पैमाने पर उत्पादन में विभिन्न डायमेंशन की जाँच और उन्हें नियंत्रण के लिए सीमा गेज का आसानी से उपयोग किया जाता है
3. अर्ध-कुशल ऑपरेटरों द्वारा सीमा गेज आसानी से उपयोग किया जा सकता है।
4. एक उचित डिज़ाइन किया गया सीमा गेज रैखिक और ज्यामितीय दोनों विशेषताओं को एक साथ जांच सकता है।
5. सीमा गेज अपनी लागत के साथ-साथ निरीक्षण लागत में भी किफायती हैं।
सीमा गेज की सीमाएं या नुकसान : Limitations and Disadvantages of limit gauge
1. लिमिट गेज कॉम्पोनेन्ट के actual साइज की जानकारी नहीं देते हैं।
यह केवल ये बताते है कि कॉम्पोनेन्ट tolerance क्षेत्र के भीतर है या नहीं।
2. आवश्यकता से अधिक सटीकता प्राप्त करने के लिए, यह गेज उपयोगी नहीं है।
3. सटीक उपकरणों जैसे वर्नियर कैलिपर, माइक्रोमीटर आदि की तरह डायमेंशन की जांच करना संभव नहीं है।