पायनीकरण (Tempering):
What is Tempering?
हद से ज्यादा हार्ड steel भंगुर (brittle) होने के कारण अधिकतर कार्यों के लिये अनुपयोगी होता है।
हार्ड इस्पात की कठोरता और उसकी भंगुरता को कम करना बहुत ही आवश्यक होता है।
स्टील की hardness और brittleness को Tempering process के द्वारा कम किया जाता है।
Defination of Tempering:-
Tempering एक हीट ट्रीटमेंट की प्रोसेस है जिसमे किसी कठोरित इस्पात की कठोरता तथा भंगुरता को कम किया जाता है।
इसमें स्टील को उसके critical temperature से नीचे तक गरम करके उपयुक्त साधन द्वारा मन्द-शीतलन विधि से ठण्डा किया जाता है।
Uses of Tempering :-
1. इस क्रिया के द्वारा इस्पात की तन्यता (ductility) तथा चीमड़पन (toughness) में वृद्धि हो
जाती है।
2. सामर्थ्य (tensile strength) में कमी होती है।
3. पायनीकरण क्रिया से इस्पात में मार्टेन्साइट की मात्रा कम हो जाती है और उसके आन्तरिक प्रतिबलों में पर्याप्त कमी होती है।
सिद्धान्त (Principle)-
hard इस्पात का मुख्य घटक मार्टेन्साइट होता है जो की इस्पात को अत्यधिक कठोर बनाता है।
पायनीकरण क्रिया के द्वारा मार्टेन्साइट को कम किया जाता है। इस process के अन्तर्गत लगभग 250°C पर मार्टेन्साइट का विघटन आरम्भ हो जाता है।
और जिस तापमान पर मार्टेन्साइट का विघटन स्टार्ट होता है उस तापमान को पायनीकरण-तापमान (tempering temperature) कहते हैं।
जैसे-जैसे पायनीकरण तापमानों में वृद्धि होती है, मार्टेन्साइट के विघटन की दर में भी वृद्धि होती है।
लगभग 330°C पर इस्पात की संरचना का रूपान्तरण पायनीकृत मार्टेन्साइट (tempered marteusite) में हो जाता है।
और इस्पात से सीमेंटाइट जिसमें अत्यधिक कार्बन होता है वो अलग होने लगता है, और इस्पात में carbon के कम होने के कारण उसकी की कठोरता कम होने लगती है। क्योंकि कार्बन ही कठोरता का कारण होता है।
Note:- इस्पात के मिश्रकारक अवयव उसकी कठोरता कम होने की दर को रोकते हैं।
इस कारण मिश्र-धातुओं (Alloys) के पायनीकरण तापमान, साधारण इस्पात की अपेक्षा अधिक होते हैं।