*उत्तराणी मेला बागेश्वर जिले में मकर संक्रांति के दिन, यानी 14 जनवरी या 15 जनवरी को लगाया जाता है, उत्तराणी का मेला बागेश्वर नगर में एक प्रसिद्ध मेला है, जो प्रत्येक वर्ष लगता है। इस मेले के पीछे कई रहस्यमय बातें और धार्मिक महत्व हैं
1. धार्मिक महत्व: उत्तराणी का मेला बागनाथ मंदिर के पास लगता है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मेला भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है।
2. पौराणिक कथा: उत्तराणी का मेला एक पौराणिक कथा से जुड़ा है, जिसमें भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह की कहानी है। इस मेले में भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा और आराधना की जाती है।
3. सांस्कृतिक महत्व: उत्तराणी का मेला उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मेले में स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है।
- उत्तराणी का मेला इतना प्रसिद्ध है क्योंकि:
1. धार्मिक महत्व: यह मेला भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं।
2. सांस्कृतिक महत्व: यह मेला उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसमें स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है।
3. प्राकृतिक सुंदरता: बागेश्वर नगर की प्राकृतिक सुंदरता भी इस मेले की प्रसिद्धि का एक कारण है। नगर के पास सरयू और गोमती नदियों का संगम है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और भी बढ़ाता है।
उत्तराणी का मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो भक्तों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है। इस मेले में भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है, और इसमें स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है।
- उत्तराणी के मेले के बारे में कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:
– मेले का आयोजन: उत्तराणी का मेला प्रत्येक वर्ष लगता है, और इसका आयोजन बागेश्वर नगर में किया जाता है।
– धार्मिक अनुष्ठान: इस मेले में भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है, और इसमें कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
– सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस मेले में स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है, और इसमें कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
इन सभी बातों के साथ, उत्तराणी का मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो भक्तों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है।उत्तराणी का मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसमें कई चीजें और कार्यक्रम होते हैं। इस मेले में भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है, और इसमें स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है।
- उत्तराणी के मेले में होने वाली चीजें और कार्यक्रम इस प्रकार हैं:
1. धार्मिक अनुष्ठान: इस मेले में भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है, और इसमें कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
2. सांस्कृतिक कार्यक्रम: इस मेले में स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है, और इसमें कई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
3. मेले की दुकानें: इस मेले में कई दुकानें लगाई जाती हैं, जिनमें स्थानीय हस्तशिल्प और उत्पादों की बिक्री की जाती है।
4. भोजन और पेय: इस मेले में कई भोजन और पेय स्टॉल लगाए जाते हैं, जिनमें स्थानीय व्यंजनों का आनंद लिया जा सकता है।
- उत्तराणी के मेले में आने वाले लोग इस प्रकार हैं:
1. स्थानीय लोग: इस मेले में स्थानीय लोगों की बड़ी संख्या में भाग लेती है, जो अपनी संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन करते हैं।
2. भक्त: इस मेले में भगवान शिव के भक्त बड़ी संख्या में आते हैं, जो उनकी पूजा और आराधना करते हैं।
3. पर्यटक: इस मेले में पर्यटकों की भी बड़ी संख्या में भाग लेती है, जो उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हैं।
- उत्तराणी का मेला इतना प्रसिद्ध है क्योंकि:
1. धार्मिक महत्व: यह मेला भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण देवता हैं।
2. सांस्कृतिक महत्व: यह मेला उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसमें स्थानीय लोगों की संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है।
3. प्राकृतिक सुंदरता: बागेश्वर नगर की प्राकृतिक सुंदरता भी इस मेले की प्रसिद्धि का एक कारण है। नगर के पास सरयू और गोमती नदियों का संगम है, जो इसकी प्राकृतिक सुंदरता को और भी बढ़ाता है।
उत्तराणी का मेला कब से लगाया जाता है और किसकी याद में लगाया जाता है, इसकी जानकारी इस प्रकार है:
1. इतिहास: उत्तराणी के मेले का इतिहास बहुत पुराना है, और इसका आयोजन कई सदियों से किया जा रहा है।
2. भगवान शिव: यह मेला भगवान शिव की पूजा और आराधना के लिए मनाया जाता है, और इसमें उनकी याद में कई धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं।
इन सभी बातों के साथ, उत्तराणी का मेला एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जो भक्तों और पर्यटकों के लिए एक महत्वपूर्ण आकर्षण का केंद्र है।उत्तराणी का मेला मुख्य रूप से उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में मनाया जाता है, लेकिन यह मेला अन्य क्षेत्रों में भी मनाया जा सकता है जहां भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है।
बागेश्वर का उत्तराणी मेला बहुत प्रसिद्ध है और इसमें बड़ी संख्या में भक्त और पर्यटक भाग लेते हैं। इस मेले का आयोजन बागनाथ मंदिर के पास किया जाता है, जो भगवान शिव को समर्पित है।
हालांकि, उत्तराणी का मेला अन्य क्षेत्रों में भी मनाया जा सकता है, जहां भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है। इन मेलों में भी धार्मिक अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, और स्थानीय लोगों की भागीदारी हो सकती है।
उत्तराखंड के अन्य क्षेत्रों में भी उत्तराणी का मेला मनाया जा सकता है, जहां भगवान शिव की पूजा और आराधना की जाती है। इन मेलों में भी स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का प्रदर्शन किया जाता है।
उत्तराणी के मेले का आयोजन विभिन्न क्षेत्रों में किया जा सकता है, लेकिन बागेश्वर का उत्तराणी मेला सबसे प्रसिद्ध है और इसमें बड़ी संख्या में भक्त और पर्यटक भाग लेते है।
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